Home राष्ट्रीय रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा करने वाले व उपस्थित सहभागीयों को कारावास होगी…!

रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा करने वाले व उपस्थित सहभागीयों को कारावास होगी…!

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भोपाल – बाल्या नाम का चोर-लूटेरा मरा-मरा बोलने की निस्वार्थ अति से ईंसानी हत्याओं के अक्षम्य और कलंकित अपराधों का विनाश करके राम-राम मार्ग पर आ गया और महर्षी बाल्मिकी बनकर पुरी रामायण की रचना कर दी | अब इसी अति वाले मार्ग से राम-राम का राजनैतिक, सत्ता-लौलूपता व अपने-अपने निजी स्वार्थ की मंशा से इस्तेमाल या बोलने से मरा-मरा होने जा रहा लगता हैं | जिसमे सत्ता व हर कार्यक्षेत्र के दिग्गज भागीदारी बन रहे हैं और लोगों के द्वार-द्वार जाकर पीले चावल व न जाने क्या-क्या देकर इस प्राण-प्रतिष्ठा में न आने का निमंत्रण देते हुए अपने-अपने राम की पूजा, अपने-अपने स्तर पर अपनी सामाजिक औकात/हैसियत, धार्मिक विश्वास व आर्थिक रूप से जेब के वजन के अनुसार करवा के, प्रसाद बांटने का निर्लजता व अमर्यादा पूर्ण बोलकर राजनैतिक रूप से तीरस्कारीत, अपमानित करके अछूत बनाकर दूर किया जा रहा हैं । रामलला के मूल मानव रूप में प्राण लेने के “रामनवमी” वाले दिन को काल के कपाल से मिटाने व दिपावली जैसा उत्सव सदियों से चली आ रही परम्परा के विपरित बिना धन, स्वर्ण व उपहार दिये उल्टा चन्दा, दान और चढावा एक बार बाद में अयोध्या मन्दिर में आकर देने का आह्वान किया जा रहा हैं । एक मिनिट चौबीस सैकंड के मोहर्त में आम लोग लाईव टेलिकास्ट देखेंगे या न आने के निमंत्रण अनुसार पूजा-पाठ करेंगे | इन सभी राम भक्तों को मुहर्त पर पूजा-पाठ कर यश प्राप्त करने का अधिकार नहीं लगता हैं |

सनातन धर्म व हिन्दू धर्म एवं संस्कृति में पत्थर की मूर्ति को प्राण-प्रतिष्ठा के बाद जीवित माना जाता हैं | इसी आधार को वर्तमान भारत के मुख्य न्यायाधीश नें पुष्टि करते हुए कहां कि रामलला का मन्दिर बनाने का फैसला संविधान पीठ द्वारा पूर्ण बहुमत से लिया गया अर्थात संविधान में ऐसा लिखा हैं क्योंकि न्यायपालिकाओं के फैसले संविधान के अनुसार होते हैं, किसी एक धर्म के आधार पर नहीं और संविधान की मूल भावना में सभी धर्म और उनके सिद्धांतों को समान आदर की बात कहीं हैं । भारत वर्ष में मूर्ति पूजा विरोधी कई धर्म व समाज आज भी वर्षों से प्रचलन में हैं और स्कूली शिक्षा में पढाये जाते हैं | भगवान राम ने भी पुरे भू-भाग पर विजय पाने के लिए अश्वमेव यज्ञ में अपनी धर्मपत्नी जिसे माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता हैं उसकी स्वर्ण मूर्ति बनवाई और बाद में उस मूर्ति के स्वर्ण को गरीबों में बांट दिया था और आज भी गणेश चतुर्थी व नवरात्रि में लाखों मूर्तियां बनाई जाती हैं और उन्हें बाद में नदी / तालाब / समुद्र के जल में विसर्जित कर दिया जाता है | इनकी स्थापना में शायद मंत्रों एवं पूजा-पाठ द्वारा प्राण-प्रतिष्ठान नहीं करी जाती लगती हैं। सभी रामयणों के आधार पर टेलिविज़न पर प्रसारित रामायण में सबने देखा कि भगवान राम सरयू नदी के जलमार्ग से अन्त में बैकुंठ धाम चले गये | इसके बाद उस समय उनके असली भक्तों ने यह मार्ग अपनाया | यहीं धर्म व परम्परा चल रही हैं इस कारण लोग कोरोना काल में अपने के शवों को सूखी नदियों की मिट्टी में दबा गये अन्यथा मन्दिरों के जीवित भगवान के पास छोड जाते |

अब उच्चतम न्यायालय के इस सर्वमान्य एवं अंतिम फैसले के अनुसार उस समय की रामलला मूर्ति जीवित थी उसमें प्राण मौजूद थे | अब नई मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा में पुरानी मूर्ति से प्राण निकाले जायेंगे या ट्रांसफर करे जायेंगे अन्यथा मन्दिर बनाने के आदेश से किसी को आपत्ति नहीं हैं।

यदि प्राण निकाले जायेंगे तो यह संविधान के अनुसार भगवान रामलला की हत्या का जघन्य अपराध हैं और ऐसा करने वालों को फांसी की सजा का प्रावधान हैं | इसके साथ हत्या के दौरान उपस्थित सभी लोग जो समर्थन व उत्साहवर्धन करेंगे वो भी रामलला की हत्या के सहभागी के रूप में कानूनन अपराधी होंगे, उनके लिए भी कठोर सजा का प्रावधान हैं |

अब यदि माना जाये की प्राणों को एक मूर्ति से निकालकर दुसरी मूर्ति में डाला जा रहा हैं तो फिर नई मूर्ति जो करिबन चौदह से पन्द्रह साल के बाल्यावस्था रूप की हैं उसे कानून के हिसाब से बोल, चलकर व बयान देकर बताना होगा अन्यथा यह संविधान और उसके कानूनों के अनुसार जादू-टोना करना, अंधविश्वास फैलाना, धर्म के आडम्बर से समाज व देश को बेवकूफ़ बनाने का कारावास वाला अपराध होता हैं । सुप्रीम कोर्ट के अनुसार पहले रामलला छोटे बच्चे थे अब तो किशोर हैं और विशेष अदालतें हर रोज बच्चों को भी उनके अपराध के लिए जेलों में भेज रही हैं चाहे बच्चा अन्धा, बहरा, व गूंगा ही क्यों ना हो, इसलिए मानवीय दृष्टिकोण से कानूनों की छांव में संविधान के अनुसार नई मूर्ति को अदालत में अपने जिन्दा होने की गवाही देनी पड़ेगी |

अब बात सनातन धर्म व वेदों पर आधारित सभ्यता और संस्कृति के अटल सत्य को माने तो बाल्या चोर से महर्षी बाल्मिकी बनने के मार्ग पर प्राण-प्रतिष्ठा करने वाले, सहायक और उपस्थित रहकर उत्साहवर्धन करने वालों को जाना चाहिए जिसमें अन्न, जल त्याग कर घोर तपस्या करने का विधान हैं | शास्त्रों के अनुसार एक बार असली व सच्चें रामभक्त को पता चल जाये की भगवान जीवित रूप में उसके सामने हैं वो ही जीवन-मरण का अन्तिम सार हैं वो मोह-माया, जात-पात, धन-दौलत, कुर्सी-सत्ता सबकुछ त्याग कर उस दिव्य प्रकाशित सच में समा जाता हैं नहीं तो भगवान के आदेश से वही सबकुछ छोड़ दिन-रात उनकी सेवा में लग जाता है या भगवान के कहने पर समाज का अधुरा काम न कि सत्ता का पूरा करने की जवाबदेही निभाता हैं। आजकल तो हर जगह व छोटी सी छोटी गुफाओं में कैमरे जा सकते हैं इसलिए जीवित पत्थर की मूर्ति जैसे ही आदेश देगी वो पुरी दुनिया को दिखा देंगे ताकि उसे कुर्सी के लिए अर्थात् जिम्मेदारी लेने के लिए वोट मांगने में अपना समय बर्बाद न करना पड़े |

रामलला प्राण-प्रतिष्ठा के बाद जैसे ही मूर्ति बोलेंगी उससे कई बड़े लक्ष्यों को पूरा करने के द्वार खुल जायेंगें जो आज की मानव सभ्यता के लिए बड़ी विकराल स्थिति बने हुए हैं। मंत्रों एवं मानवीय क्रिया-कर्मों से प्राण को निकाल कर इधर से उधर कर सकने वाले दिव्य महापुरूषों को जनता के मुंह के निवाले पर टैक्स के रूप में वसूले पैंसों से दुनिया के हर कौने-कौने मे भेजा जायेगा इसके लिए पुष्पक विमाननुमा आलीशान हवाई विमान हैं ताकि कोरोना वायरस को धूल चटाई जा सके | कोरोना वायरस जैसे ही किसी के प्राण हरेगा यह दिव्य महापुरूष उस प्राण को लेकर दुबारा उसके शरीर को सही करके प्राण डाल देंगे | भारत विश्वगुरु बन जायेगा, दुनिया उसे साष्टांग प्रणाम करेगी | दान, दक्षीणा, चन्दा मांगने का झंझट ही खत्म हो जायेगा क्योंकि ईलाज के नाम पर अस्पतालों में पैसा पानी की तरह बहाने वाली जनता सोने, चांदी, हारे, मोती व अमूल्य धातुओं के साथ आज के कागजी व प्लास्टिक नोटों की नदी बहा देगी | भारत अपना सारा कर्जा चुकाकर झुके शीर्ष को फिर खड़ा करके गर्व से चल सकेगा |

समय के चक्र या राजनैतिक इच्छाशक्ति व न्यायपालिका की मोहर एवं आदेश से जैसे ही रामलला बालिग व वोट देने लायक हो जायेंगें वो लोकतान्त्रिक रूप से हर विधानसभा व लोकसभा की सीट पर चुनाव लड़ने का पर्चा भर देंगे | यदि सभी सीटों पर चुनाव लड़ने पर चुनाव आयोग कानूनी अड़चन पैदा करेगा तो हर क्षेत्र के राम मन्दिर की मूर्ति चुनावी प्रत्याक्षी के रूप में पर्चा भर देगी आखिरकार संविधान के अनुसार प्राण-प्रतिष्ठा करी हुई मूर्ति जीवित होती हैं। इससे लोकतांत्रिक रूप से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो जायेगी और गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, भूखमरी, अशिक्षा, महंगाई, जातिगत भेदभाव, लड़ाई-झगड़े, मनमुटाव, भेदभाव, टुटी सड़के, अस्पतालों की कमी, खानपान में मिलावट जैसी अनगिनत समस्याओं से मुक्ति मिल जायेगी | धर्म और शास्त्र तो यह कहता हैं कि एक व्यक्ति के त्याग से परिवार, एक परिवार के त्याग से गांव, एक गांव के त्याग से शहर, एक शहर के त्याग से राज्य व एक राज्य के त्याग से देश बचता हैं तो वह करना न्यायसंगत होता हैं । इसलिए रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा में आमंत्रित व मौजूद दिव्यपुरूष इस धर्म व शास्त्र मार्ग पर चलेंगे |

शैलेन्द्र कुमार बिराणी
युवा वैज्ञानिक